NCWEB, DU और राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्त्वावधान में “व्यावसायिक क्षेत्र की निर्णय प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका” विषय पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज सफल समापन हो गया ।
कल शुरू कार्यक्रम में संबोधित करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति ने कहा कि ‘देश के बड़े कॉरपोरेट संस्थानों में महिलाओं की भूमिका बढ़ी है।’ उन्होंने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में संबोधन के साथ अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनों सहित देश के बड़े कॉरपोरेट संस्थानों(टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल, रिलायंस), शैक्षणिक संस्थानों आदि में स्त्री की केंद्रीय भूमिका को लक्षित किया।
इस कार्यक्रम में अध्यक्ष के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. योगेश सिंह, मुख्य अतिथि के तौर पर सुश्री डेलिना खोंगडुप (सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग), विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रो. सुषमा यादव (सम-कुलपति, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय), प्रो. श्री प्रकाश सिंह (निदेशक, साउथ कैम्पस, दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. अश्वनी महाजन (राष्ट्रीय सह-समन्वयक, स्वदेशी जागरण मंच), प्रो. बलराम पाणि (डीन ऑफ कॉलेज़ेज, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं NCWEB के चेयरपर्सन), प्रो. गीता भट्ट (निदेशक, एन.सी.डब्ल्यू.ई.बी.) एवं डॉ. सुरेन्द्र कुमार (उप-निदेशक, एन.सी.डब्ल्यू.ई.बी.) सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
प्रो. गीता भट्ट ने स्वागत वक्तव्य में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति और राष्ट्रीय महिला आयोग के प्रति अपना आभार प्रकट किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सेमिनार इस विषय को सामाजिक भागीदारी की तरफ़ ले जाएगा। प्रो. सुषमा यादव ने निर्णय प्रक्रिया में स्त्री की भूमिका ही नहीं बल्कि सहभागिता और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में सकारात्मक हस्तक्षेप की बात कही। प्रो. बलराम पाणि ने शिक्षा के माध्यम से स्त्रियों के सामाजिक-आर्थिक विकास पर ज़ोर दिया।
प्लेनरी सेशन-1 और 2 का आयोजन हुआ। डॉ. शमिका रवि (सदस्य, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद) ने “केयर इकॉनमी” और “केयर इंफ्रास्ट्रक्चर” पर काम करने की बात की। संगोष्ठी का दूसरा दिन मुख्यतः शोध-पत्र प्रस्तुतीकरण से संबन्धित था। देश के कई भागों से कुल 90 से अधिक प्रतिभागियों ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए।
समापन सत्र की मुख्य अतिथि सुश्री ऐश्वर्या भाटी ने महिलाओं को समय से संवाद करते हुए तकनीक के साथ आगे बढ़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि मातृत्त्व प्रकृति में सबसे ताक़तवर रचनात्मक शक्ति है और हमें तमाम मुश्किलों, समस्याओं, निराशाओं से लड़ते हुए अपनी मंजिलों की तरफ़ बढ़ना होगा। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि अब सवाल सिर्फ़ भागीदारी का नहीं बल्कि परिवार, समाज, प्रकृति, देश के विकास में सक्रिय योगदान देने का है। प्रो. गीता भट्ट ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम की समाप्ति की औपचारिक घोषणा की।
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