अहिल्याबाई होल्करअहिल्याबाई होल्कर

शैक्षिक फ़ाउंडेशन एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ए.बी.आर.एस.एम.) के संयुक्त तत्त्वावधान में ‘अहिल्याबाई होल्कर- एक आदर्श साम्राज्ञी’ पुस्तक का विमोचन एवं व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन 29 नवम्बर 2024 को किरोड़ीमल महाविद्यालय के संगोष्ठी कक्ष में किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री महेंद्र कपूर, मुख्य अतिथि प्रो. शशिप्रभा कुमार (चेयरपर्सन, भारतीय उच्च संस्थान शिमला), मुख्य वक्ता प्रो. शशिकला वंजारी (कुलपति, राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान), विशिष्ट अतिथि सुश्री ज्योति चौथाईवाले एवं अध्यक्ष प्रो. गीता भट्ट (महामंत्री, ए.बी.आर.एस.एम. एवं निदेशक, एन.सी.डबल्यू.ई.बी.) के अतिरिक्त किरोड़ीमल महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. दिनेश खट्टर, प्रो. मनोज सिन्हा (सचिव, शैक्षिक फ़ाउंडेशन), प्रो. राकेश कुमार पाण्डेय (सह संयोजक-शैक्षिक प्रकोष्ठ, ए.बी.आर.एस.एम.), प्रो. मनोज खन्ना, प्रो. राजीव अग्रवाल, प्रो. अवधेश कुमार सहित कई महत्त्वपूर्ण विद्वानों की उपस्थिति रही।

विशिष्ट अतिथि सुश्री ज्योति चौथाईवाले ने अपने वक्तव्य में मातृत्त्व, कृत्रित्त्व, व्यक्तित्त्व की उदाहरण अहिल्याबाई होल्कर का जीवन भारतीय बोध से परिपूर्ण है। मुख्य वक्ता प्रो. शशिकला वंजारी ने कहा कि चरित्र और व्यवहार की श्रेष्ठता की प्रतीक अहिल्याबाई होल्कर समाज के बीच रहते हुए जनता के बारे चिंतन और मनन कर उनकी समस्याओं का समाधान करते हुए वे लोकमाता कहलाईं। वे राष्ट्रीय संस्कृति की पुनर्स्थापना अपना दायित्त्व मानती थीं। लघु एवं कुटीर उद्योगों एवं शिल्प कलाओं की पुनर्स्थापना भी की।

प्रो. शशिप्रभा कुमार ने कहा कि यह पुस्तक अहिल्याबाई होल्कर के लोकमाता, साम्राज्ञी, युद्धकला में निपुड़ता, जीवन संघर्ष, करुणामयी जीवन, परोपकारी जीवन, दूरदृष्टि आदि का संक्षिप्त दस्तावेज़ है। साधारण परिवार में जन्म लेने वाली अहिल्याबाई होल्कर अपने कर्मों व चरित्र की महानता से असाधारण बनीं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्रो. गीता भट्ट ने सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अहिल्याबाई होल्कर के जीवन से उनकी व्यावहारिकता, वैचारिकता, उनकी राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक-प्रशासनिक दृष्टि व चारित्रिक दृढ़ता का पता चलता है। उन्होंने कहा कि स्त्री-विमर्श के नजरिए से अहिल्याबाई के जीवन को देखने की आवश्यकता है। ज्ञात हो एबीआरएसएम भारतीय शिक्षण मूल्यों पर आधारित शिक्षा व्यवस्था को प्रोत्साहित करता है। वर्तमान में इससे 12 लाख से अधिक शिक्षक जुड़े हुए हैं और यह देश के 27 राज्यों में कार्यरत है।

यह भी जरूर पढ़े :

ARSD में ABVP का शानदार प्रदर्शन,अंकित लांबा बने ARSD के संयुक्त सचिव

Discover more from The BG Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading