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दिल्ली विश्वविद्यालय की भारतीय भाषा समिति द्वारा ‘राष्ट्र-प्रथम'(शक्ति-शांति-समृद्धि) विषयक परिचर्चा एवं काव्यगोष्ठी का आयोजन दिनांक 09 जून, 2025 को अपराह्न 3:00 बजे दिल्ली विश्वविद्यालय के महर्षि कणाद भवन सभागार में किया गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय की भारतीय भाषा समिति द्वारा पहलगाम हमले के प्रतिकार स्वरूप हुए ऑपरेशन सिंदूर (सैन्य कार्रवाई) के समर्थन में परिचर्चा एवं विभिन्न भारतीय भाषाओं में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सशक्त मार्गदर्शन में हमारी सेनाओं द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का अभिनंदन करने के क्रम में यह अपने आप में एक अनूठा कार्यक्रम रहा।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री रमेश अग्रवाल, अध्यक्ष, सेवा भारती, दिल्ली प्रांत ने अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति पर चर्चा करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत का एक सशक्त कदम बताया। आपने कहा कि भारत माता की जय बोलने के साथ-साथ हमें पुरूषार्थ करने की आवश्यकता है। आपने कहा कि हमें एक मज़बूत वैचारिक आंदोलन का संकल्प लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है तभी भारत अपने उच्च वैभव को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तर्ज़ पर बुद्धिजीवियों से प्रोफेशनल सोशल रिस्पांसिबिलिटी चलाने का आह्वान किया जिसमें राष्ट्र जागरण अभियान चलाया जाए।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित दिल्ली विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष एवं जनसंपर्क अधिकारी श्री अनूप लाठर ने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा केवल सैनिक ही नहीं करते हैं बल्कि हम सब साथ मिलकर उन्हें सशक्त करते हैं। आपने कहा कि हमारी संस्कृति सदा परिवर्तनशील रही है और यही संस्कृति के सातत्य का कारण रही है। आज हमारा राष्ट्र उस मोड़ पर है जहाँ से यह नई उड़ान भर सकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. बलराम पाणी, अधिष्ठाता, महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय ने ऑपरेशन सिंदूर की सार्थकता पर चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्र रक्षा सबसे बड़ा पुण्य कार्य, सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा यज्ञ है। आपने कहा कि राष्ट्र की अस्मिता के कारण ही हमारी अस्मिता है और अनेकता में एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। आपने ‘राष्ट्र प्रथम’ जैसे कार्यक्रमों की महत्ता को सामने रखते हुए भारतीय एकता को बरकरार रखने के लिए हरसंभव प्रयास करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम के संयोजक एवं अध्यक्ष, भारतीय भाषा समिति, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रोफेसर निरंजन कुमार ने प्रो. स्टीफ़न मार्टिन वॉल्ट को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘राष्ट्रवाद दुनिया की सबसे मज़बूत शक्ति है।’ आपने कहा कि राष्ट्र और राष्ट्रीयता को लेकर तरह तरह की भ्रांतियाँ हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है और ‘राष्ट्र प्रथम’ जैसे कार्यक्रम ऐसी वैचारिक प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करते हैं।

कार्यक्रम के अगले चरण में विविध भारतीय भाषाओं में गणमान्य युवा कवियों द्वारा ‘राष्ट्र-प्रथम’ विषयक काव्य प्रस्तुतियाँ दी गईं। आयोजन में विश्वविद्यालय के विभिन्न डीन, विभागाध्यक्ष, प्राचार्य, संकाय सदस्य, शिक्षक, शोधार्थी, छात्र और समाज के अन्य संस्कृति और साहित्य प्रेमी शामिल हुए ।

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