अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) एवं राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 20-21 जुलाई 2024 को ‘विद्यालयी तथा उच्च शिक्षा की पाठ्यचर्या रूपरेखा के मध्य सम्बन्धों की समझ’ विषय पर दो-दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन एनसीईआरटी परिसर में किया गया। यह कार्यक्रम उद्घाटन सत्र के अतिरिक्त तीन तकनीकी सत्रों में विभाजित है। उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी, मुख्य अतिथि एबीआरएसएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.जे.पी.सिंघल, एबीआरएसएम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीमान महेंद्र कपूर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमान प्रजनेश शाह, सह-संगठन मंत्री श्री लक्ष्मण गुंथा तथा सचिव प्रो. गीता भट्ट सहित अन्य गणमान्य अतिथियों की विशिष्ट उपस्थिती रही।
मुख्य वक्ता एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश शकलानी ने अपने वक्तव्य में भारत केन्द्रित शिक्षा की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इसके लिए स्कूल से उच्च शिक्षा में आ रहे विद्यार्थियों को विचारधारा से ऊपर उठकर पहले संस्थाओं के परिसर की जानकारी उनकी ऊर्जा को सही दिशा में संचालित करते हुए उन्हें भारत बेहतरीन मानव संसाधन के रूप में बदलने की बात की। साथ ही उन्हें मैकाले की शिक्षा पद्धति से बचाकर भारतीय ज्ञान परंपरा के आत्ममूल्यांकन और विश्लेषण आधारित शिक्षा पद्धति की तरफ ले जाने, बच्चों की रुचि व क्षमता के अनुसार उनके ज्ञान को सँवारने की बात की।
मुख्य अतिथि एबीआरएसएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.जे.पी. सिंघल ने अपने वक्तव्य में सतत मूल्यांकन और तटस्थ अवलोकन आधारित ऐसी शिक्षा पद्धति के क्रियान्वयन पर बल दिया जो भारत को प्राथमिकता देने वाले नागरिकों और मानव संसाधनों को निर्मित करे। उन्होंने भारतीय बनाने की क्षमता, तकनीक के साथ समन्वय और स्वदेशी तकनीक के विकास पर भी बल दिया।
एबीआरएसएम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमान प्रजनेश शाह ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि भारत केन्द्रित शिक्षा के लिए विद्यालयी शिक्षा का उच्च शिक्षा से जुड़ाव बहुत जरूरी है। इस दिशा में सकारात्मक पहल के लिए एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश शकलानी, एबीआरएसएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. जे.पी. सिंघल, एबीआरएसएम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीमान महेंद्र कपूर, प्रो. रंजना अरोड़ा, प्रो. गीता भट्ट के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया।
प्रथम तकनीकी सत्र प्रातः 11:45 बजे से शुरू हुआ जो ‘विद्यालयी शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन व बदलाव के आदर्श पहल’ विषय पर आधारित था। जिसमें प्रो. रंजना अरोड़ा, अध्यक्ष, पाठ्यचर्या अध्ययन एवं विकास, एनसीईआरटी ने चरणबद्ध तरीके से विद्यालयी शिक्षा से उच्च शिक्षा तक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या के विकास को समझाया। ‘एनसीएफ़-एफ़एस, एफ़एनएल और जादुई पिटारा’ विषय पर प्रो. सुनीति सनवाल, अध्यक्ष, प्रारम्भिक(एलेमेंट्री) शिक्षा, एनसीईआरटी ने अपने वक्तव्य में ‘प्री-स्कूल’ के संदर्भ में निजी विद्यालयों के नकारात्मक प्रभावों और सरकारी प्रयास व भावी लक्ष्य के सकारात्मक प्रभावों को अधिगम के विविध आयामों को बच्चे के आरंभिक विकास को संतुलित रखने की बात की।
प्रो. इंद्रानी भादुरी, अध्यक्ष, शैक्षणिक सर्वेक्षण और परख, एनसीईआरटी ने ‘विद्यालयी शिक्षा में सर्वांगीण मूल्यांकन’ पर अपने विचार रखते हुए कहा कि एनईपी-2020 360 डिग्री मूल्याँकन केन्द्रित है जो बच्चों की कमियों, एवं क्षमताओं की जानकारी देने के साथ उनमें जागरूकता, भावुकता/संवेदनशीलता और सृजनात्मकता को बढ़ावा देगा। प्रो. अमरेन्द्र बहेरा, संयुक्त निदेशक, सीआईईटी(एनसीईआरटी) ने ‘डिजिटल पहल’ पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि डिजिटल साक्षारता टीचिंग-लर्निंग-इवैल्यूएशन के साथ-साथ सम्प्रेषण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जरूरी है।
दूसरे सत्र में प्रो. शशिकला वंजारी, कुलपति, एनआईईपीए(निपा) ने ‘अध्यापक शिक्षा में रूपान्तरण’ विषय पर बात करते हुए कहा कि शिक्षक विद्यालयी शिक्षा और उच्च शिक्षा के मध्य जुड़ाव की महत्त्वपूर्ण कड़ी है इसलिए उसे उपनिवेशी जकड़ से मुक्त कर भारत की आत्मा जगाने वाला होना चाहिए इसलिए शिक्षकों के प्रशिक्षण और अध्यापन में रूपान्तरण की आवश्यकता है। इसी सत्र में ‘उच्च शिक्षा में शिक्षकों की चुनौतियाँ और समस्याएँ’ तथा ‘राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक आकांक्षाओं को उच्च शिक्षा में बढ़ावा देना’ जैसे विषयों पर प्रो.प्रजनेश शाह और प्रो.गीता भट्ट ने संवाद शैली आधारित गहन चर्चा की।
धन्यवाद ज्ञापन के साथ प्रथम दिन कार्यक्रम समाप्त हुआ। मानव संसाधन मानव संसाधन
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