पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) के नेता बिलावल भुट्टो ने हाल ही में एक साक्षात्कार में बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने स्वीकार किया कि अतीत में पाकिस्तान सरकारों ने आतंकवादी संगठनों को समर्थन और संरक्षण दिया। यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब पाकिस्तान पहले ही वैश्विक मंचों पर FATF जैसी संस्थाओं की निगरानी में है।
बिलावल ने कहा,
“हमने कुछ ऐसे समूहों को रणनीतिक कारणों से संरक्षण दिया जो बाद में हमारे लिए ही चुनौती बन गए। अब यह हमें ही नुकसान पहुँचा रहा है।”
उनके इस बयान से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान की पूर्व सरकारों ने आतंकवाद को एक नीति के रूप में अपनाया। इससे पहले 2024 में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी संसद में ऐसा ही बयान दिया था।
भारत लंबे समय से यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है कि पाकिस्तान आतंकी संगठनों को पालता है और उन्हें भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करता है। अब पाकिस्तान के ही वरिष्ठ नेताओं द्वारा सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार करना, भारत के रुख को और मजबूती देता है।
पाकिस्तानी मीडिया में भी इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिली हैं। कई विश्लेषकों ने इसे ‘राजनयिक आत्मघात’ कहा है। वहीं, विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं कि यदि सरकारों ने आतंक को बढ़ावा दिया, तो आज देश उस खामियाजे से कैसे उबर पाएगा?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस बयान के बाद पाकिस्तान पर दबाव और अधिक बढ़ सकता है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र के लिए यह एक प्रमाणिक बयान हो सकता है कि पाकिस्तान को आतंकी समूहों के खिलाफ और सख्ती से कदम उठाने होंगे।
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