द्रौपदी पंचकन्या में से एक थी उन्हें चिर-कुमारी भी कहा जाता था. यही नही द्रौपदी को कृष्णेयी, यज्ञसेनी, महाभारती, सैरंध्री, पांचाली, अग्नि सुता आदि नामों से जानी जाती थी. द्रौपदी का विवाह पांच पांडवों यानि युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव से हुआ था. द्रौपदी क्यों बनी पांडवों की पत्नी इस पीछे एक कथा है जो द्रौपदी के पिछले जन्म से जुड़ी हुई है. आइए जानते हैं कि पिछले जन्म में मांगे गए किस वरदान को पूरा करने के लिए द्रौपदी की हुई थी पांडवों से शादी.
द्रौपदी ने मांगा था ये वरदान
द्रौपदी को वैसे तो पांडवों की पत्नी और राजा द्रुपद की पुत्री के रूप में ही जाना जाता है. द्रौपदी पिछले जन्म में एक राजकुमारी नहीं बल्कि मुद्गल ऋषि की पत्नी थी, उसका नाम इंद्रसेना था. अपने पति मुद्गल ऋषि की मृत्यु के बाद उसने अपने पति को पाने की कामना से तपस्या की. इंद्रसेना की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने वरदान मांगने को कहा. इंद्रसेना ने वरदान में पांच बार कहा कि वह सर्वगुण संपन्न पति चाहती है जो धर्मपरायण, बलशाली, श्रेष्ठ धनुर्धर, तलवार विद्या में निपुण और सुन्दर हो. उसकी इच्छा को सुन भगवान शिव ने कहा कि अगले जन्म में तुम्हे पांच गुणों वाला पति मिलेगा.
इंद्रसेना के पांच बार पति की कामना दोहराने और एक व्यक्ति में पांच गुणों का समावेश असंभव होने के कारण जब इंद्रसेना ने द्रौपदी के रूप में जन्म लिया तो उसकी शादी पांडवों से हुई. पांडवों में वह पांच गुण थे जिनकी कामना अपने पिछले जन्म में की थी.
ऐसे हुआ था जन्म
पौराणिक कथा के मुताबिक, गुरु द्रोण से मिली हार के कारण राजा द्रुपद बहुत लज्जित हुए और द्रोण से बदला लेने के उपाय सोचने लगे. एक दिन उनकी भेंट याज तथा उपयाज नामक महान कर्मकाण्डी ब्राह्मण भाइयों से हुई. राजा द्रुपद ने उनकी सेवा कर उनसे गुरु द्रोण को मारने का उपाय पूछा तो उन्होंने यह उपाय बताया कि आप एक यज्ञ का आयोजन कर अग्निदेव को प्रसन्न करें. इससे आपको एक बलशाली पुत्र की प्राप्ति होगी. राजा द्रुपद ने उनके कहे अनुसार यज्ञ करवाया, जिसमें उन्हें एक पुत्र के साथ एक पुत्री की भी प्राप्ति हुई. जिसके बाद पुत्र का नाम धृष्टद्युम्न और पुत्री का नाम द्रौपदी रखा गया. यज्ञ की अग्नि से उत्पन्न होने के कारण वह यज्ञसेनी भी जानी गई है.
यह भी जरूर पढ़े :