नीतीश कुमार को लेकर बिहार की सियासत में चर्चा गरम है. नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदलते हैं तो उस सूरत में एनडीए के घटक दल चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का क्या होगा, इसको लेकर दिल्ली में चिराग के घर तीनों नेताओं ने बैठक भी की है. इसी बीच तीनों नेताओं के अंदेशे को ताकत इस बात से भी मिली है जब अमित शाह ने एक अखबार के साथ इंटरव्यू में कह दिया कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रपोजल आने पर बीजेपी जरूर विचार करेगी.
जाहिर है कि इसके बाद बिहार में चल रही सियासी चर्चा को बल मिल गया है और एनडीए के घटक दल के अलावा आरजेडी भी नई राजनीतिक परिस्थितियों के लिए तैयारी करने में जुट गई है. दूसरी ओर, चिराग पासवान के घर बुधवार की देर शाम जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा रात्रि भोजन के लिए आमंत्रित थे.
एंट्री को लेकर असहज चिराग
सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान के घर तीनों नेताओं ने नीतीश कुमार के आगमन को लेकर मंत्रणा की और एनडीए के बड़े घटक दल बीजेपी से ये कहने की योजना बनाई कि नीतीश कुमार के एनडीए में आने की वजह से उनके राजनीतिक हितों का नुकसान नहीं होना चाहिए. दरअसल नीतीश कुमार के एनडीए में आगमन को लेकर चर्चा इन दिनों सियासी गलियारे में तेजी से हो रही है. इसलिए तीनों नेता अपने-अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए चिराग के घर इकट्ठा हुए थे.
चिराग पासवान का नीतीश कुमार की एंट्री को लेकर असहज होना स्वाभाविक है. पिछले चार सालों से चिराग नीतीश कुमार के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक तीखे तेवर रखने के लिए जाने जाते रहे हैं. इसलिए माना जा रहा है कि नीतीश की एंट्री के बाद चिराग का एनडीए में बना रहना आसान नहीं होगा. वहीं एलजेपी (रामविलास) को भरोसा है कि चिराग पासवान की कड़ी मेहनत और बढ़ती लोकप्रियता की वजह से बीजेपी चिराग के एवज में जेडीयू के साथ कोई डील नहीं करेगी.
लेकिन नए परिस्थितियों में चिराग, मांझी और कुशवाहा बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे इसको लेकर कयासों का बाजार गरम है. वैसे जानकार मानते हैं कि जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा नीतीश को एनडीए में वेलकम करने को लेकर बयान देते रहे हैं. इसलिए नीतीश का कोपभाजन मांझी और कुशवाहा न भी हों लेकिन चिराग के लिए स्थितियां आसान नहीं रहेंगी.
वैसे आरजेडी ने भी पिछले 48 घंटों में अपना तेवर नीतीश को लेकर बदल लिया है. सूत्र बताते हैं कि आरजेडी समझ चुकी है कि नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव से पहले पलटने वाले हैं. इसलिए आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साथ आरजेडी के कई नेताओं ने पिछले 15 महीनों के काम का क्रेडिट जनता के बीच जाकर लेना शुरू कर दिया है.
आरजेडी ने क्यों बदल लिए हैं तेवर?
नीतीश कुमार के एक के बाद दूसरे फैसले से आरजेडी नीतीश कुमार के इरादों को भांप चुकी है. गोविंद सिंह की जयंती के अवसर पर सीएम के साथ डिप्टी सीएम के जाने की रवायत गोविंद सिंह के जन्मस्थान पर रही है. लेकिन नीतीश कुमार ने तय समय से पहले ही जाकर तेजस्वी यादव से दूरी बनाने का जो मैसेज दिया उसके बाद आरजेडी और भी ज्यादा चौकन्नी हो चुकी है. उससे पहले नियुक्ति पत्र बांटने को लेकर सरकारी विज्ञापन में तेजस्वी का चेहरा गायब रहना आरजेडी को नागवार गुजरी थी. इसलिए आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव से लेकर भाई वीरेंद्र ने क्रेडिट लेने की होड़ में प्रेस के सामने बयान देना शुरू कर दिया है.
आरजेडी अब पंद्रह साल बनाम पंद्रह महीने का नारा बुलंद करने लगी है. आरजेडी की ओर से जिलों में ये प्रचारित किया जाने लगा है कि नियुक्तियां आरजेडी के सरकार में शामिल होने के बाद से ही शुरू हुई है. वहीं जेडीयू के प्रमुख नीतीश कुमार इसे सात निश्चय-पार्ट 2 का हिस्सा बताकर खुद के क्रेडिट देने की होड़ में जुट गए हैं.
जाहिर है कि बचा खुचा काम लालू प्रसाद ने वो बयान देकर पूरा कर दिया है जिसमें लालू प्रसाद ने सीट शेयरिंग को लेकर इतनी हड़बड़ी की बात कह सिरे से खारिज कर देना शामिल है. एक तरफ नीतीश कुमार राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने को लेकर सस्पेंस बनाए हुए हैं वहीं आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने सिरे से खारिज कर अपने इरादे साफ कर दिए हैं. आरजेडी के एक बड़े नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा है कि आरजेडी अब नीतीश कुमार के रवैये को देखते हुए हर परिस्थितियों के लिए तैयार है. इसलिए आरजेडी अब अपने कामों का क्रेडिट खुलकर लेने लगी है.
जेडीयू और आरजेडी में छिड़ गई जुबानी जंग?
आरजेडी प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने ये कहकर जेडीयू को हैसियत बताने की कोशिश की है कि लालू प्रसाद की मेहरबानी की वजह से नीतीश कुमार सीएम बने हुए हैं. इसके जवाब में जेडीयू ने कह दिया है कि नीतीश कुमार अपनी क्षमता की वजह से सीएम पद पर सालों से बने हुए हैं. इतना ही नहीं आरजेडी के एमएलसी और लालू परिवार के करीबी सुनील सिंह ने नियुक्तियों को लेकर डींगे न हांकने को लेकर नीतीश कुमार पर तंज कसा तो जेडीयू की तरफ से निखिल मंडल ने उन्हें अगलगौना कहकर संबोधित करते हुए पलटवार करने से परहेज नहीं किया है.
जनवरी के अंत तक बड़े बदलाव के संकेत
जाहिर है आरजेडी अब आर-पार के मूड में है. आरजेडी के सूत्रों के मुताबिक सीट शेयरिंग में डील भी उसी रणनीति का हिस्सा है जिसमें कांग्रेस और आरजेडी दोनों मिलकर नीतीश कुमार की चाल को फेल करने में जुटे हुए हैं. आरजेडी नेता कहते हैं कि विश्वास के अभाव की वजह से ही नीतीश कुमार INDIA गठबंधन में कोई पद पाने से वंचित रहे हैं.
आज अमित शाह और दो दिनों पहले पशुपतिनाथ पारस के बयान एनडीए में फिर से नीतीश की एंट्री को लेकर बड़ा बयान दे चुके हैं. जाहिर है नीतीश कुमार फिर से एनडीए का हिस्सा बनते हैं तो बीजेपी सहित घटक दलों की स्थितियों में बड़ा बदलाव महसूस किया जा सकता है. इसलिए चिराग के घर पर मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की बैठक अहम मानी जा रही है. कहा जा रहा है कि बीजेपी के भीतर भी सम्राट चौधरी सरीखे नेता के लिए स्थितियां आसान नहीं रहने वाली है. लेकिन नीतीश कुमार के एनडीए में फिर से एंट्री की खबर के बाद बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर संभव है.
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