दिल्ली विश्वविद्यालय के सतत शिक्षा एवं विस्तार विभाग (Department of Continuing Education and Extension – डी. सी. ई. ई.) द्वारा सत्र 2024-2025 में पीएचडी कार्यक्रम में नया प्रवेश पाने वाले शोधार्थियों के लिए ‘ओरिएंटेशन प्रोग्राम’ आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन विभागीय परिसर स्थित ‘सेमिनार कक्ष’ में हुआ।
कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत विभागाध्यक्ष प्रो. कुमार आशुतोष के स्वागत वक्तव्य से हुई। उन्होंने विभाग एवं उसकी कार्यप्रणाली का सामान्य परिचय शोधार्थियों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए का सभी का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने कहा कि वर्ष 1978 में एक कोश (Cell) के रूप में स्थापित इस विभाग ने वर्तमान में पीएचडी सहित अनेक नए पाठ्यक्रमों का संचालन प्रारंभ कर दिया है। उन्होंने पीएचडी कोर्स वर्क के अंतर्गत पढ़ाए जाने वाले अनिवार्य विषयों, वैकल्पिक विषयों, सम्बंधित प्राध्यापकों/प्राध्यापिकाओं, आयोजित होने वाली कक्षाओं, कक्षा-कक्ष, आदि के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की।
दूसरे वक्ता के रूप में, विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. राजेश जी द्वारा अपना विषय रखा गया। उन्होंने शोध प्रविधि (Research Methodology), सहायक उपकरणों (Assisting Tools), शोध पत्रिकाओं (Research Journals), शोध नैतिकता (Research Ethics), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), गुणवत्तापूर्ण शोध (Qualitative Research), जैसे अनेक बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। साथ ही उन्होंने शोध कार्य में तकनीक एवं प्रौद्योगिकी के समुचित उपयोग एवं उसके महत्त्व को भी स्पष्ट किया। अंत में उन्होंने कहा कि – “एक शोधार्थी की शोध प्रवृत्ति एक पत्रकार की भाँति खोजबीन वाली होनी चाहिए।“
तीसरे वक्ता के रूप में, विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. वी. के. दीक्षित का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 से इस विभाग में पीएचडी कार्यक्रम की शुरुआत हुई और यह विभाग अपने गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य (Qualitative Research) के तौर पर जाना जाता है। आगे उन्होंने पीएचडी कोर्स की महत्त्व के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने इसी सत्र से पहली बार प्रारंभ किए जाने वाले टर्म पेपर (Term Paper) का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ये टर्म पेपर शोधार्थियों में और अधिक गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कोर्स वर्क के अंत में आयोजित होने वाली परीक्षाओं का भी उल्लेख किया।
अगले वक्ता के रूप में, विभाग की प्राध्यापिका डॉ. वंदना सिसोदिया ने अपना विषय रखा। उन्होंने सभी शोधार्थियों को बधाई देते हुए उनका स्वागत किया। उन्होंने शोध अनुशासन (Research Discipline), वैकल्पिक विषयों (Optional Papers), समय-सारणी (Time-Table), आदि का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया। आगे उन्होंने बताया की – “एक शोधार्थी को अपने शोध कार्य के दौरान सदैव स्व-प्रेरित (Self-motivated) रहना चाहिए।
कार्यक्रम में, विभाग के अन्य प्राध्यापक डॉ. रुपेश कुमार गुप्ता एवं डॉ. राहुल यादव की भी गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम में प्राध्यापकों, गैर-अकादमिक स्टाफ एवं नवागन्तुक शोधार्थियों सहित कुल 35 से अधिक की उपस्थिति रही। ज्ञात हो कि दिल्ली विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के अंतर्गत कार्यरत सतत शिक्षा एवं विस्तार विभाग (Department of Continuing Education and Extension) की स्थापना वर्ष 1978 में हुई थी।
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