अहिल्याबाई अहिल्याबाई

लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती का भव्य आयोजन 11 जनवरी 2025 को नॉन-कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यकाम भवन में किया गया। मुख्य वक्ता श्रीमती नैना सहस्रबुद्धे (उपाध्यक्ष, भारतीय स्त्री शक्ति), मुख्य अतिथि श्री अनिल गुप्ता (सी.ए. एवं सामाजिक कार्यकर्ता), प्रो. बलराम पाणि (अधिष्ठाता महाविद्यालय एवं चेयरपर्सन एन.सी.डबल्यू.ई.बी.), प्रो. गीता भट्ट (निदेशक, एन.सी.डबल्यू.ई.बी.), प्रो. मनोज खन्ना, डॉ. सुरेन्द्र कुमार (उपनिदेशक, एन.सी.डबल्यू.ई.बी.) व डॉ. प्रेमपाल सिंह (प्रभारी, पी.जी. सेंटर) सहित अन्य विद्वतजन उपस्थित रहे। व्याख्यान सत्र के अतिरिक्त कार्यक्रम के अंतर्गत कुल पाँच प्रतियोगिताओं- पोस्टर निर्माण, स्वरचित काव्य, मीम्स मेकिंग, स्लोगन लेखन एवं रंगोली का आयोजन भी हुआ।

प्रो. गीता भट्ट, निदेशक एन.सी.डबल्यू.ई.बी., ने अपने स्वागत वक्तव्य में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए वर्तमान समय में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की नेतृत्त्व क्षमता, दूरदर्शिता, निर्णय क्षमता, एकीकरण, सामाजिक उत्तरदायित्व आदि के संदर्भ में भारतीय दृष्टिकोण आधारित ‘स्व की खोज का मंथन’ पर बल दिया।

मुख्य वक्ता श्रीमती नैना सहस्रबुद्धे (उपाध्यक्ष, भारतीय स्त्री शक्ति) ने अपने वक्तव्य में अहिल्याबाई होल्कर के ‘लोक-कल्याण’ व ‘लोकहित’ दृष्टिकोण आधारित उस सामाजिक चरित्र का पक्ष उजागर करती हैं जिसे समाज ने सम्मानित करते हुए ‘लोकमाता’ का नाम दिया।लोकमाता के बहुआयामी कर प्रबंधन, राजनीतिक-प्रशासनिक-सामाजिक भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि इतिहासकारों ने अहिल्याबाई के चरित्र को हमसे छिपाया।

मुख्य अतिथि श्री अनिल गुप्ता (सी.ए. एवं सामाजिक कार्यकर्ता) ने अपने वक्तव्य में अहिल्याबाई के चरित्र में राम व शिवाजी के चरित्र एवं दूरदर्शिता की झलक देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि रामायण में भारत द्वारा अयोध्या का शासन संभालने के लिए जो 72 प्रश्न पूछे थे वे अहिल्याबाई के प्रशासनिक दृष्टिकोण में नजर आते हैं। अहिल्याबाई हमारे जीवन के लिए एक प्रेरक चरित्र हैं।

प्रो. बलराम पाणि (अधिष्ठाता महाविद्यालय एवं चेयरपर्सन एन.सी.डबल्यू.ई.बी.) अहिल्याबाई होल्कर आत्मनिर्भरता, प्रतिबद्धता, दूरदर्शिता, युद्धनीति, रणनीति, प्रबंधन, आंतरिक सुरक्षा, साहस, न्यायप्रियता, राष्ट्रीय एकीकरण व स्त्री सशक्तिकरण की श्रेष्ठ प्रतिमान हैं। उन्होंने कहा शासन-प्रशासन के 30 वर्ष केवल गुड गवर्नेंस से ही मैनेज किया जा सकता है।

डॉ. प्रेमपाल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही कार्यक्रम की औपचारिक समाप्ति हुई। विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए 100 से अधिक छात्राओं ने पंजीकरण करवाया। कार्यक्रम में छात्राओं, प्राध्यापकों, नॉन-टीचिंग स्टाफ एवं पदाधिकारियों सहित लगभग 500 से अधिक की उपस्थिति रही।

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