आर्मस्ट्रॉन्ग पाम दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमे शिक्षा मंत्रालय में निदेशक विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता आईएएस आर्मस्ट्रॉन्ग पाम मुख्य वक्ता के रूप में सम्मिलित हुए . उन्होंने कहा की असली चुनौती सिविल सेवाओं में जाने के बाद शुरू होती है जब पंक्ति का आखिरी आदमी और जिले का आखिरी गांव आपकी ओर आशा और विश्वास भरी निगाह से देख रहा होता है। आर्मस्ट्रॉन्ग पाम आर्मस्ट्रॉन्ग पाम
उन्होंने तामेंगलोंग का जिलाधिकारी रहने के दौरान उस प्रसंग का जिक्र किया जहां कई गांव सड़क आने का इंतजार वर्षों से कर रहे थे . कई व्यावहारिक समस्याएं थीं पर अपनी व्यक्तिगत बचत और क्राउड फंडिंग के माध्यम 100 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण करवाया जो एक सपने के सच होने जैसा था।
इस हेतु उन्हें दो बार भारत का प्रतिष्ठित सिविल सेवा पुरस्कार एवं कई वैश्विक पुरस्कार प्राप्त हुए . उन्होंने कहा कि आप सिविल सेवक रहने के दौरान सबको संतुष्ट नहीं कर सकते पर सभी को सुन जरूर सकते हैं , आधी समस्या का निदान आपके सुनने की प्रक्रिया में ही हो जाता है।
उनके जिलाधिकारी रहने के दौरान प्रत्येक माह के दूसरे और चौथे शुक्रवार को स्कूली बच्चे उनके घर पर डिनर करते थे और उनसे बातचीत करते थे . उन्होंने कहा की आपके आसपास का वंचित समाज और उसकी सेवा करने से ही राष्ट्र निर्माण की शुरुवात होती है . यह कार्यक्रम हंसराज कॉलेज की निष्ठा सोसायटी द्वारा आयोजित किया गया . इस अवसर पर निष्ठा के संयोजक डॉ. प्रभांशु ओझा , हंसराज कॉलेज के बर्सर प्रो. मंजीत सिंह सग्गी , डॉ. संतोष हसनू , थंपी दुहान एवं निष्ठा के अध्यक्ष प्रिंस मलिक उपस्थित रहे।
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