कोरोनाकोरोना

कोरोना महामारी को आए हुए कई सालों का समय बीत गया है, लेकिन आज भी इस वायरस के केस आते हैं. कोविड महामारी के आने के बाद यह कहा गया था कि यह वायरस चीन से आया है, हालांकि आज तक इस बारे में कोई खास जानकारी सामने नहीं आई है. इस बीच पता चला है कि चीन के वैज्ञानिक कोविड के एक म्यूटेंट स्ट्रेन पर रिसर्च कर रहे हैं. इस रिसर्च को अभी चूहों पर किया गया है, जिसमें पता चला है कि ये स्ट्रेन काफी घातक है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इस कोविड म्यूटेंट पर हो रही रिसर्च से फिर से कोई महामारी फैल सकती है.

बीजिंग में वैज्ञानिकों ने पैंगोलिन ( एक जानवर) में पाए जाने वाले एक कोरोना जैसे वायरस का क्लोन बनाया है. जिसे GX_P2V के नाम से जाना जाता है, और चूहों को संक्रमित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया. ट्रायल में पता चला है कि यह क्लोन वाला स्ट्रेन काफी घातक है. इस ट्रायल से यह भी पता चला है कि ये म्यूटेंट काफी खतरनाक हो सकता है. कोविड के नए स्ट्रेन से चूहों को संक्रमित किया गया था. रिसर्च में पता चला कि हर संक्रमित चूहा आठ दिन में ही मर गया.

रिसर्च करने वाली टीम चूहों के दिमाग और आंखों में वायरस के बहुत वायरल लोड को देखकर भी हैरान थी. टीम ने यह सुझाव दिया कि यह म्यूटेंट भले ही कोविड का ही है, लेकिन ये एक अनोखे तरीके से शरीर में फैल रहा है. एक वैज्ञानिक ने इस बारे में एक रिसर्ट पेपर में लिखा है हालांकि वह प्रकाशित नहीं हुआ है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि यह खोज ‘मनुष्यों में GX_P2V के फैलने के खतरे को बढ़ा सकती है. चीनी वैज्ञानिकों की ये रिसर्च भविष्य में कोविड के फिर से फैलने के रिस्क को बढ़ा सकती है.

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर फ्रेंकोइस बैलौक्स ने ट्विटर (एक्स) पर लिखा कि यह एक भयानक अध्ययन है, वैज्ञानिक रूप से पूरी तरह से व्यर्थ है. कोरोना को लेकर अब इस तरह की रिसर्च की जरूरत नहीं है. कोरोना के किसी भी तरह के स्ट्रेन का इस तरह चूहों पर रिसर्च किया जाना ठीक नहीं है. न्यू ब्रंसविक, न्यू जर्सी में रटगर्स विश्वविद्यालय के रसायनज्ञ प्रोफेसर रिचर्ड एब्राइट ने डेलीमेल.कॉम को बताया कि वह प्रोफेसर बैलौक्स के मूल्यांकन से पूरी तरह सहमत हैं. ऐसी रिसर्च से काफी नुकसान हो सकता है.

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