शहीद भगत सिंह कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह कॉलेज के वाणिज्य विभाग ने 18-19 फरवरी 2025 को शहीद भगत सिंह कॉलेज के कॉलेज सभागार में “सतत व्यवसाय परिवर्तन: प्रौद्योगिकी के माध्यम से नवाचार और प्रभाव को बढ़ावा देना” विषय पर वाणिज्य विभाग, विभाग-कॉलेज इंटरफेस, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से व्यापार और प्रबंधन पर 12वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीबीएम) 2025 का आयोजन किया। इस आयोजन का नॉलेज पार्टनर श्रीलंका का सबरागामुवा विश्वविद्यालय और प्रकाशन पार्टनर अटलांटिस प्रेस था।
सत्र की शुरुआत कॉलेज की शैक्षणिक और सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों को प्रदर्शित करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री के साथ हुई। इसके अंतर्गत कॉलेज की विरासत, प्रसिद्ध पूर्व विद्यार्थी, कॉलेज प्राचार्य प्रो. अरुण कुमार अत्री के गतिशील नेतृत्व में हासिल की गई उपलब्धियों आदि को प्रस्तुत किया गया।
सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन मुख्य अतिथि माननीय अध्यक्ष, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सीए चरणजोत सिंह नंदा, विशिष्ट अतिथि भारत में जर्मन राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन और सम्मानित अतिथि (वाणिज्य विभाग) दिल्ली विश्वविद्यालय वरिष्ठ प्राचार्य वी.के. श्रोत्रिय ने किया। कॉलेज प्रो. अरुण कुमार अत्री ने अपने स्वागत वक्तव्य में शहीद भगत सिंह कॉलेज की विरासत को साझा किया और इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई।
मुख्य अतिथि सीए चरणजोत सिंह नंदा ने एक सफल करियर के लिए सहयोग और कनेक्टिविटी के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए अपनी गहरी अंतर्दृष्टि और प्रेरक शब्दों के साथ सभा को संबोधित किया। उन्होंने डेटा-संचालित निर्णयों और नवाचारों पर जोर दिया और दीर्घकालिक सफलता प्राप्त करने में सक्षम बनाने वाले के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ-साथ इंटरनेट ऑफ थिंग्स की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने आगे स्थायी समाधान, हरित प्रौद्योगिकी और नैतिक सोर्सिंग के माध्यम से व्यावसायिक परिवर्तनों के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
अगले वक्ता डॉ. फिलिप एकरमैन ने अपने वक्तव्य में भारत में अपने कार्य-जीवन के अनुभवों के किस्से साझा किए। उन्होंने व्यवसायों को दीर्घकालिक सफलता प्राप्त करने के लिए विचारों और प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए स्थिरता को एक बड़े अवसर के रूप में देखने पर जोर दिया। उन्होंने ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के सफलतापूर्वक दोहन में कई भारतीय निजी क्षेत्र के व्यापारिक संगठनों के प्रयासों और आने वाले वर्षों में भारत को एक प्रमुख ऊर्जा निर्यातक बनाने में उनकी भूमिका की सराहना की।
सम्माननीय अतिथि प्रो. श्रोत्रिय ने सम्मेलन के विषय की चर्चा करते हुए सतत बिजनेस मॉडल के महत्त्व पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने बेहतर रोजगार के लिए सीखने (लर्निंग), पुनः सीखने (रि-लर्निंग) और अनसीखने (अन-लर्निंग) के दृष्टिकोण को विकसित करने का आव्हान किया। आगे उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्रांति के साथ 2047 तक विकसित भारत के सपने को प्राप्त करने के लिए राष्ट्र निर्माण के लिए निरंतर तकनीकी प्रगति की।
उद्घाटन सत्र का समापन दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन संकाय के प्रो. (डॉ.) हर्ष वी. वर्मा के वक्तव्य के साथ हुआ। अन्य वक्ताओं के विपरीत प्रो. हर्ष वी. वर्मा ने दक्षता से पहले प्रभावशीलता की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने उत्पादन और उपभोग के बारे में पूर्वी और पश्चिमी दुनिया के विचारों में तुलना की। उन्होंने दर्शकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में किए जा रहे वादों एवं अपेक्षाओं के बारे में बताया।
अगले वक्ता के रूप में एसकेआई कैपिटल के प्रबंध निदेशक और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति फिक्की, एसोचैम और पीएचडीसीसीआई के सदस्य सी.ए. नरेंद्र वाधवा का सम्बोधन प्राप्त हुआ। उन्होंने तकनीकी उन्नति और अपनाने के लिए प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, क्योंकि प्रौद्योगिकी के उपयोग से नवाचार में वृद्धि और लागत में कमी की जा सकती है। उन्होंने प्रतिस्पर्धात्मकता में बाधा डाले बिना विकास और राष्ट्र निर्माण के लिए स्थिरता हासिल करने पर जोर दिया। उन्होंने परिचालन दक्षता बढ़ाने और लागत में कटौती के लिए अपस्किलिंग, रीस्किलिंग और डेटा एनालिटिक्स का लाभ उठाकर व्यावसायिक परिवर्तनों के बारे में भी बात की।
प्लेनरी सत्र संख्या एक में “व्यवसाय और वाणिज्य में सतत विकास लक्ष्यों” पर चर्चा की गई। पैनलिस्टों में जीजीएसआईपी विश्वविद्यालय प्रबंधन विषय के प्राध्यापक प्रो. गगन दीप शर्मा, आईसीएमएआई के प्रबंध निदेशक प्रो. (डॉ.) एस.के. गुप्ता, एमडीआई गुड़गांव की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कीर्ति शर्मा, ईएसजी पार्टनर एवं एफएसआर प्रबंधन सलाहकार डॉ. अक्षिता कश्यप और मार्ज़ोली इंडिया के मुख्य डिजिटलीकरण अधिकारी श्री सुधीर मेहानी शामिल रहे।
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