आज मोती लाल नेहरू सांध्य कॉलेज में गांधी स्टडी सर्कल ने ” गांधी : महान की जगह साधारण की प्रतिष्ठा ” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया । व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप हिन्दी विभाग के पूर्व प्रोफेसर प्रेम सिंह मौजूद रहे । कार्यक्रम का शुभारंभ मोती लाल नेहरू सांध्य कॉलेज के प्रोफेसर व गांधी स्टडी सर्कल के कनवीनर डॉ अश्वनी कुमार ने अपने वक्तव्य से किया ।
मुख्य वक्ता पूर्व प्रोफेसर प्रेम सिंह ने गांधी जी पर कुछ ऐसी खास बातें रेखांकित की जिस पर आधुनिक विश्व का विचार – विमर्श चला हैं । अपनी बात रखते हुए पूर्व प्रोफेसर प्रेम सिंह ने बताया कि गांधी जी खुद को महान या विशिष्ट की जगह सदाहरण की प्रतिष्ठित करते हैं । हम देखते हैं जब यूरोप में ज्ञानोदय होता हैं, । हम देखते हैं कि यूरोप के ज्ञानोदय में एक फासला हैं । मनुष्य को धर्म की सत्ता से हटा कर उन्हें मनुष्य के जीवन से ही संबंध किया जाए । उन्हीं के साथ रखा जाए । धर्म और सत्ता का एक अलग डोमेन बना दिया जाता हैं और वे उस से स्वतंत्र रहता हैं । मानव जीवन का केंद्र धर्म नहीं हैं ।
इसके आगे पूर्व प्रोफेसर प्रेम सिंह बताते है कि विश्व में कई ऐसे उदाहरण देखने को मिले जब जिस जिस ने क्रांति चलाई , सत्ता उसी के हाथ में गई । लेकिन गांधी जी ने ऐसा नहीं किया, उन्होंने खुद को सत्ता से दूर रखा । सत्ता के सोपानों में कौन कहा रहेगा, इसके लिए पहले से लोग लड़ रहे थे । लेकिन गांधी के बारे में कोई नहीं बता पा रहा था कि वो भी कहीं हो सकते हैं । गांधी जी ने अपने शरीर को ही एक प्रयोगशाला बना डाला था ।
गांधी की नीतियों को किसी देश की सरकार ने नहीं अपनाया । नेहरू जी ने तो साफ मना कर दिया था कि गांधी जी के तरीके से हम अपना देश नहीं चला सकते हैं । आधुनिक सभ्यता में जब पनाह मांगती है तो वो गांधी के पास चली जाती हैं । गांधी एक मलहम का काम करते हैं । बाजार और हथियार पर आज जल दुनिया चल रही हैं , इनके अंदर भी मनुष्य है और जब इनको मलहम की आवश्यकता होती हैं तो गांधी याद आते हैं ।
कार्यक्रम के अंत में मोती लाल नेहरू सांध्य कॉलेज की प्रो. डॉ भारती ने कॉलेज की प्राचार्य डॉ विचित्रा , गांधी स्टडी सर्कल के पूर्व कनवीनर डॉ कान्हा राम मीणा सहित कार्यक्रम में मौजूद सभी का आभार व्यक्त किया ।
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