नई दिल्ली: 17 अक्टूबर 2025 को दौलतराम कॉलेज (Daulat Ram College) का सभागार साहित्यिक आभा से जगमगा उठा। इनेजिज़्म काव्य समिति और दिल्ली हिन्दी अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘कवि सम्मेलन’ ने कविता के विविध रंगों से श्रोताओं के दिलों को छू लिया। कार्यक्रम का कुशल संयोजन असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अविनाश मिश्र ने किया, जबकि प्राचार्या प्रो. (डॉ.) सविता रॉय ने संरक्षक की भूमिका निभाई।
मुख्य अतिथि एवं मंच संचालक डॉ. संजय जैन की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। इस काव्य-संध्या में डॉ. संजय जैन सहित बी. एस. भारद्वाज, डॉ. उर्वी उदय, बलजीत कौर तन्हा और डॉ. अविनाश मिश्र जैसे प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।
मातृ-प्रेम और जीवन-दर्शन से काव्य-पाठ का शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर और संयोजक डॉ. अविनाश मिश्र ने की। उन्होंने सबसे पहले जितिया व्रत के पावन अवसर पर एक भावपूर्ण कविता का पाठ किया, जिसने तुरंत ही एक आत्मिक जुड़ाव पैदा किया। जितिया व्रत पर उनकी पंक्तियाँ मातृशक्ति के त्याग और समर्पण की अनूठी गाथा प्रस्तुत कर रही थीं। इसके पश्चात उन्होंने ‘जाना’ और ‘प्रेम’ जैसे गूढ़ विषयों पर अपनी रचनाएँ सुनाकर श्रोताओं को गहराई से प्रभावित किया।
गीत, गज़ल और ख़ामोशी के स्वर
वरिष्ठ अतिथि कवि बी. एस. भारद्वाज ने अपनी प्रस्तुति से महफ़िल में एक शांत और दार्शनिक माहौल बनाया। उन्होंने ‘मौन’ के ऊपर एक शानदार गीत सुनाया, जिसने सभागार में एक मधुर ख़ामोशी भर दी। इसके बाद, उनकी शानदार गज़ल “कोई काँटों से पूछ ले जाकर” ने श्रोताओं की भरपूर दाद बटोरी।
इसके तुरंत बाद, डॉ. उर्वी उदय ने प्रेम के विभिन्न पहलुओं को अपनी कविताओं में पिरोया। उन्होंने “अपने पलकों पर ख्वाब रखती हूँ” और “प्यार में कोई कितना पागल होता है” जैसी रोमांटिक रचनाएँ सुनाकर युवाओं के बीच विशेष पहचान बनाई।
डॉ. संजय जैन: जब देशभक्ति ने आँखों को किया नम
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. संजय जैन का काव्य-पाठ इस शाम का शिखर था। मंच संचालक की भूमिका निभाते हुए उन्होंने अपने ओजपूर्ण अंदाज़ से श्रोताओं को जोड़े रखा। उन्होंने अपनी शायरी, गीत और गजलों में ‘इत्र की खुशबू देख लो’, ‘पहली नजर का पहला प्यार’ और ‘कॉलेज’ जैसे विषयों को बड़ी ख़ूबसूरती से प्रस्तुत किया।
लेकिन सबसे यादगार पल तब आया, जब उन्होंने शहीदों पर एक शानदार गीत गाया। देश के वीरों के बलिदान और शौर्य को समर्पित इस भावुक गीत ने पूरे ऑडिटोरियम में एक गंभीर और भावुक माहौल बना दिया। इस मार्मिक प्रस्तुति के दौरान छात्र-छात्राओं और शिक्षकों सहित सभी श्रोताओं की आँखें नम हो गई थीं, जो डॉ. जैन की रचना की गहरी भावनात्मक शक्ति को दर्शाता है।
बलजीत कौर तन्हा का हास्य-धमाका
भावुकता के बाद माहौल को हल्का करने का जिम्मा कवयित्री बलजीत कौर तन्हा ने संभाला। उनके हास्य से भरपूर किस्सागोई (storytelling) और व्यंग्यात्मक कविताओं ने सभागार को हंसी के फव्वारों से भर दिया। उनकी प्रस्तुति इतनी मनोरंजक थी कि पूरी महफ़िल की हंसी रुक नहीं रही थी, जिसने तनाव को दूर कर उत्सव को एक नया उत्साह दिया।
छात्रा कवयित्रियों की रचनात्मक अभिव्यक्ति
कॉलेज की छात्रा कवयित्रियाँ रिद्धि गिरी (चतुर्थ वर्ष) और मनीषा कुमारी (तृतीय वर्ष) ने भी अपनी कविताओं के माध्यम से मंच की गरिमा बढ़ाई। उनकी प्रस्तुतियों ने दर्शाया कि युवा पीढ़ी भी साहित्य और हिंदी कविता के प्रति उतनी ही संवेदनशील और समर्पित है।
अंत में, कॉलेज की डॉ. नीतू गुप्ता ने सभी अतिथि कवियों, आयोजकों, संरक्षक और उपस्थित श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने इस सफल आयोजन के लिए इनेजिज़्म काव्य समिति और दिल्ली हिन्दी अकादमी के प्रयासों की सराहना की। यह ‘कवि सम्मेलन’ कविता, देशभक्ति, प्रेम और हास्य का एक ऐसा संगम था, जिसने दौलतराम कॉलेज को साहित्यिक मानचित्र पर एक नया आयाम दिया।
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