राजभाषा कार्यान्वयन 13 फरवरी 2025 को श्री गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज ऑफ कॉमर्स में हिंदी की गलियारा सोसाइटी और आई क्यू ए सी द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के राजभाषा निदेशक श्रीमान जगदीश राम पौरी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. मीनाक्षी रानी के स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने मुख्य अतिथि, प्राचार्य और सभी उपस्थित जनों का हार्दिक अभिनंदन किया। इसके पश्चात, प्राचार्य प्रो. जतिन्दर बीर सिंह ने श्रीमान जगदीश राम पौरी का औपचारिक स्वागत किया। प्रो. ज्योति ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए सभी आगंतुकों का स्वागत किया। तत्पश्चात प्राचार्य श्री जे. बी. सिंह, डॉ. मीनाक्षी और प्रो. ज्योति ने मिलकर मुख्य अतिथि को पुष्प गुच्छ भेंट किया और उन्हें मंच पर आमंत्रित किया। इस मौके पर आई क्यू ए सी की संयोजक डॉ. रचना सेठ भी अपनी टीम के साथ उपस्थित रहीं।
अपने संबोधन में श्रीमान पौरी ने राजभाषा की विस्तृत व्याख्या करते हुए‘राष्ट्रभाषा’ एवं ‘राजभाषा’ के बीच का अंतर स्पष्ट किया। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में भाषाई प्रावधानों और हिंदी सहित अन्य भाषाओं के संवैधानिक अधिकारों पर विस्तृत चर्चा की।
उन्होंने सरल एवं प्रभावी शैली में बताया कि संविधान ने विभिन्न राज्यों के बीच भाषाई समन्वय सुनिश्चित करने के लिए किस प्रकार नियम निर्धारित किए हैं। न्यायपालिका में प्रयुक्त भाषा एवं कानूनी प्रक्रिया में इसकी भूमिका, संविधान में हिंदी भाषा के विकास हेतु दिए गए निर्देश,संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 भाषाएँ, 1952 एवं 1955 के राष्ट्रपति आदेश, जिनमें हिंदी भाषा के उपयोग से संबंधित दिशा-निर्देश निहित हैं, राजभाषा अधिनियम 1963, तथा उसका प्रशासनिक एवं सरकारी कार्यों पर प्रभाव, सरकारी प्रस्तावों एवं रिपोर्टों का हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों में प्रकाशन अनिवार्यता रहें।
कार्यक्रम के अंत में श्रीमान जगदीश राम पौरी ने अपने सारगर्भित निष्कर्ष के साथ चर्चा को सुंदर रूप से समेटा। उन्होंने सोहनलाल द्विवेदी की प्रसिद्ध कविता उद्धृत करते हुए कहा—
“लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।”
इस विचारोत्तेजक सत्र के समापन पर प्रो. डी. डी.चतुर्वेदी ने अपने विचार व्यक्त किए और मुख्य अतिथि श्रीमान जगदीश राम पौरी को उनके ज्ञानवर्धक वक्तव्य के लिए धन्यवाद दिया। इस कार्यशाला के माध्यम से प्रतिभागियों को भारत की भाषाई नीतियों एवं राजभाषा के संवैधानिक प्रावधानों की गहन समझ प्राप्त हुई।
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